Mid-day meal: मिड-डे मील की लागत में वृद्धि: बच्चों के पोषण और गुणवत्ता पर जोर
प्रदेश सरकार ने राजकीय स्कूलों में कक्षा 8 तक के छात्र-छात्राओं के लिए मिड-डे मील की लागत में बढ़ोतरी का फैसला लिया है। महंगाई के कारण मिड-डे मील तैयार करने की लागत में इजाफा हुआ, जिससे स्कूलों को कच्चा सामान खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
नई दरों का ऐलान
आयुक्त, मिड-डे मील कार्यक्रम द्वारा जारी आदेश के तहत कुकिंग कन्वर्जन लागत में बदलाव किया गया है:
- बाल वाटिका और प्राथमिक विद्यालय
- पुरानी दर: प्रति छात्र प्रति दिन ₹5.45
- नई दर: प्रति छात्र प्रति दिन ₹6.19
- उच्च प्राथमिक विद्यालय (उप्रावि)
- पुरानी दर: प्रति छात्र प्रति दिन ₹8.17
- नई दर: प्रति छात्र प्रति दिन ₹9.29
यह बदलाव विद्यालयों को बेहतर गुणवत्ता वाला भोजन प्रदान करने में मदद करेगा। Mid-day meal:
मिड-डे मील की प्रक्रिया
मिड-डे मील के लिए कच्चे सामान की खरीद विद्यालय के पोषाहार प्रभारी द्वारा की जाती है। स्कूल प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) की अनुशंसा पर सामान के बिल का भुगतान होता है।Mid-day meal:
कुक-कम-हेल्पर को मानदेय का इंत जार
राजकीय स्कूलों में रोजाना मिड-डे मील तैयार करने का कार्य कुक-कम-हेल्पर महिलाएं करती हैं। सरकार की ओर से उन्हें हर माह ₹2,146 का मानदेय दिया जाता है। हालांकि, कुकिंग कन्वर्जन लागत बढ़ने के बाद अब इन महिलाओं को अपने मानदेय में बढ़ोतरी की उम्मीद है। Mid-day meal:
सरकार का उद्देश्य
इस बदलाव का उद्देश्य बच्चों को बेहतर पोषण और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना है। इससे न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि योजना को और अधिक प्रभावी व संतुलित बनाया जा सकेगा। Mid-day meal:
मिड-डे मील की लागत में वृद्धि स्कूलों के लिए राहत लेकर आई है और बच्चों के पोषण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। अब कुक-कम-हेल्पर भी अपने मानदेय में बदलाव की प्रतीक्षा कर रही हैं।